Railway Act 143 in Hindi
Railway Act 143 in Hindi : रेलवे ने Railway act, 1989 में रेलवे से सम्बंधित कुल 200 धाराओं का उल्लेख किया गया है। इन्ही धाराओं में से एक है Section 143, जो गलत तरीके से टिकटें बेचने वालो पर लागु होता है। आइये इस पोस्ट के माध्यम जानते है की Railway act 1989 की Section 143 क्या है?
कुछ लोग अपने पर्सनल IRCTC आईडी से जरूरत से ज्यादा टिकटें बुक करते है और उन टिकटों को अधिक मूल्य में बेचते है, जो एक तरह से गैरकानूनी है। इसे ब्लैक में टिकट बेचना भी कहा जाता है। इस प्रकार के गैरकानूनी गतिविधियों रोकने के लिए एक्ट 1989 में सेक्शन 143 बनाया है। इस सेक्शन के तहत अपराधी को तीन साल कैद और दस हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।
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रेलवे के नियमों के अनुसार,
प्रत्येक पर्सनल आईडी से महीने में सिर्फ 6 ट्रैन टिकट बुक करा सकते हैं।
एक पर्सनल आईडी से एक दिन में सिर्फ दो ट्रैन टिकट ही दिया जाता है।
अनधिकृत एजेंट्स कैसे काम करते है ?
IRCTC ने ई-टिकट सर्विस शुरू करते समय नियम बनाया था कि एक IRCTC ID से महीने में दस टिकटें दी जाएगी। लेकिन एक साल बाद जांच में पता चला कि 90% लोग रजिस्टर्ड आईडी से छह बार भी टिकट नहीं निकाल रहे हैं। इसलिए लिमिट10 से घटाकर छह कर दी गई। लेकिन एजेंट इसका भी तोड़ निकाल चुके हैं। एक मेल आईडी से एक IRCTC ID आसानी से बन जाता है, इसलिए एजेंट्स एक से अधिक फर्जी पर्सनल आईडी बना लेते हैं। रजिस्टर्ड आईडी से काउंटर खुलने के आधा घंटे बाद टिकट मिलता है, लेकिन पर्सनल आईडी से काउंटर खुलते ही धड़ाधड़ टिकट बुक होने लगते है। तत्काल में यह सबसे ज्यादा हो रहा है। यही वजह है कि आम जनता को तत्काल सुविधा का फायदा भी कम ही मिल रहा है।
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Section 143 | धारा 143
Penalty for unauthorized carrying on of business of procuring and supplying of railway tickets.
(1) If any person, not being a railway servant or an agent authorized in this behalf,—
(a) carries on the business of procuring and supplying tickets for travel on a railway or for reserved accommodation for journey in a train; or
(b) purchases or sells or attempts to purchase or sell tickets with a view to carrying on any such business either by himself or by any other person,
he shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to three years or with fine which may extend to ten thousand rupees, or with both, and shall also forfeit the tickets which he so procures, supplies, purchases, sells or attempts to purchase or sell:
Provided that in the absence of special and adequate reasons to the contrary to be mentioned in the judgment of the court, such punishment shall not be less than imprisonment for a term of one month or a fine of five thousand rupees.
(2) Whoever abets any offence punishable under this section shall, whether or not such offence is committed, be punishable with the same punishment as is provided for the offence.
Source : http://legislative.gov.in/sites/default/files/A1989-24_0.pdf
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