How Income Tax department monitors your money?

How Income Tax department monitors your money? | इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उच्च मूल्य के वित्तीय लेनदेन को कैसे ट्रैक करता है?

How Income Tax department monitors your money : काले धन की गड़बड़ी पर अंकुश लगाने के लिए और अत्यधिक पैसे के लेन-देन का पता लगाने के उद्देश्य से, संघीय सरकार ने अगस्त 2020 तक नए रिपोर्टिंग सुझावों को लागू करने के लिए निर्धारित किया है। सरकार की अधिसूचना के अनुसार, अत्यधिक पैसे के लेन-देन और धन प्राप्ति के बारे में, सभी वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं को आईटी विभाग में रिपोर्ट पेश करना होगा।

नए मानदंडों के तहत, नकद प्राप्तियों, शेयरों की खरीद, म्यूचुअल फंड, अचल संपत्ति, सावधि जमा, विदेशी मुद्रा की बिक्री को फॉर्म 61 ए के निर्धारित प्रारूप में आयकर अधिकारियों को सूचित करना होगा।

Table of Contents

संस्थान कब आयकर विभाग को उच्च मूल्य के वित्तीय लेनदेन की रिपोर्ट करते है?

उच्च मूल्यवर्ग में किए गए लेनदेन को उच्च मूल्य लेनदेन के रूप में जाना जाता है। उच्च मूल्य लेन-देन की कोई परिभाषा नहीं है और यह भी कि टर्नओवर या Net Worth के आधार पर मान लेने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि, उच्च मूल्य लेनदेन के लिए सीमा निर्धारित की गई है।

निम्नलिखित सूचि के आधार पर संस्थान उच्च मूल्य लेनदेन की रिपोर्ट आयकर विभाग को भेजते है –

  • अचल संपत्ति : संपत्ति के रजिस्ट्रार को 30 लाख रुपये से अधिक की सभी अचल संपत्ति खरीदने और बेचने की रिपोर्ट आयकर विभाग को भेजना चाहिए।
  • प्रोफेशनल्स : पेशेवर को किसी भी सामान या सेवाओं की बिक्री 2 लाख रुपये से अधिक की करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित करनी होगी।
  • बैंकों में नकद जमा: अगर किसी व्यक्ति के सेविंग अकाउंट में एक वित्तीय वर्ष के भीतर  (करंट अकाउंट के अलावा) 10 लाख रुपये या उससे अधिक धनराशी जमा करने पर बैंक उस लेनदेन को आयकर विभाग को रिपोर्ट करेगा।
  • बैंकों में टर्म डिपाजिट धनराशी : बैंकों को किसी व्यक्ति इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को रिपोर्ट करनी होगी, अगर उस व्यक्ति के एक या एक से अधिक टर्म डिपाजिट खातों में (किसी अन्य टर्म डिपाजिट के नवीनीकरण किए गए टर्म डिपाजिट के अलावा) एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद धनराशी जमा होती है। यह नियम पोस्ट ऑफिस टर्म डिपाजिट अकाउंट में जमा और निकासी जैसे लेनदेन पर भी लागु होगा।
  • चालू खातों में जमा : किसी व्यक्ति के एक या एक से अधिक Current Account में एक वित्तीय वर्ष में नकद जमा या निकासी 50 लाख रुपये या उससे अधिक होने पर, बैंक द्वारा टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित किया जाता है।
  • बैंक ड्राफ्ट या आरबीआई द्वारा जारी प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट के उपयोग से खरीद के लिए किसी वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या अधिक का नकद भुगतान भी सूचित किया जाता है।
  • क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान : यदि आप एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान नकद राशी के रूप भरते है या चेक/NEFT विधि के माध्यम से 10 लाख रुपये से अधिक का मनी ट्रांसफर करते हैं, तो सम्बंधित बैंक इस बात की रिपोर्ट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को करेगा।
  • इन्वेस्टमेंट : निम्नलिखित निर्धारित धनराशी की सिमा पार होने पर सम्बंधित संस्थान आयकर विभाग को रिपोर्ट करती है। -> 10 लाख रुपये या उससे अधिक धनराशी की एक वर्ष में म्युचुअल फंड्स में निवेश। एक वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक के बांड या डिबेंचर की खरीद। पब्लिक ऑफर या राइट इशू के माध्यम से कंपनी के शेयरों की खरीद 10 लाख रुपये या उससे अधिक पर। 10 लाख या उससे अधिक राशि वाले व्यक्ति से शेयर-बैक खरीदने पर।

उच्च मूल्य लेनदेन की रिपोर्टिंग आयकर विभाग को कौन करता है?

उपरोक्त उल्लिखित उच्च मूल्य लेनदेन की रिपोर्टिंग निम्नलिखित थर्ड पार्टी इंस्टीटूशन्स द्वारा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को किया जाता हैं –

  • बैंक्स – सभी प्राइवेट, पब्लिक और को-ऑपरेटिव बैंक्स उच्च मूल्य के लेनदेन के सम्बन्ध में आईटी डिपार्टमेंट को सूचित करते है।
  • पोस्ट ऑफिस का मास्टर जनरल
  • नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कम्पनिया
  • शेयर, डिबेंचर और Mutual Fund  जारी करने वाली ब्रोकिंग कंपनियां
  • Credit Card की सुविधा प्रदान करने वाले कम्पनिया
  • Property Sub-Registrar

इसे भी पढ़े : What is Inflation in Economics

उच्च मूल्य लेनदेन की रिपोर्ट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सबमिट करने के लिए उपरोक्त सभी थर्ड पार्टी संस्थानों को Form 61A दाखिल करने की आवश्यकता होती है, जिसे AIR (Annual Information Return) भी कहा जाता है। इस दस्तावेज़ में व्यक्ति के नाम और पैन कार्ड नंबर सहित लेनदेन के बारे में जानकारी उल्लिखित होती है।

उच्च मूल्य लेन-देन के बारे में आयकर विभाग को कैसे जानकारी मिलती है?

डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके, आयकर विभाग विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डेटा को संसाधित करता है, जैसे कि वित्तीय लेनदेन की स्टेटमेंट (Statement of Financial Transactions) जो के एक बयान के रूप में विभिन्न एजेंसियों जैसे कि बैंकों, म्यूचुअल फंड, Tax Deduction at Source (TDS), Tax Collection at Source (TCS), Foreign Remittances (form 15CC) स्टेटमेंट आदि द्वारा रिपोर्ट किया जाता है।

इस प्रकार के रिपोर्ट्स का एनालिसिस करके उच्च मूल्य लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग के अधिकारी इकट्ठा करते है।

इसे भी पढ़े : Types of Insurance Policies – in Hindi

NEXT post

Digiforum EMI

Digiforum EMI

Written by

Nandeshwar Katenga

Nandesh Katenga is a versatile individual with a passion for the digital realm. With a background in computer programming and a strong interest in sales, marketing, website development, personal finance, and blogging, Nandesh offers insights and expertise. Expertise: 1. **Computer Programming:** Nandesh excels in problem-solving through coding, from crafting innovative software solutions to dissecting complex algorithms. 2. **Sales and Marketing:** Nandesh masters the art of selling and the science of marketing, helping boost product visibility and devising sales strategies. 3. **Website Development:** Nandesh's specialty is creating seamless digital experiences that not only look great but function flawlessly. 4. **Personal Finance:** Your financial well-being is Nandesh's focus, and they provide tips and tricks for smart money management, wise investments, and securing your financial future. 5. **Blogging:** Nandesh uses writing as a creative outlet to share knowledge and insights, keeping you updated on technology, business, and personal finance trends. Let's explore the digital world together. Feel free to reach out to Nandesh for questions or collaborations. Your success is their priority in this ever-evolving digital landscape.

Leave a Comment

We would like to keep you updated with special notifications. Optionally you can also enter your phone number to receive SMS updates.