What is Inflation in Economics

What is Inflation in Economics

Inflation, Economics का एक शब्द है, जिसे आप कई बार किसी इकॉनमिस्ट से सुना होगा। वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ते कीमतों के दर को Inflation Rate कहा जाता है। Inflation Rate – सामान/वस्तु और सेवाओं की बढ़ती हुई कीमतों के दर को मापने का इकाई है। यदि आप भूतकाल में नजर डालते है, तो आप यह पाएंगे की प्रत्येक वस्तु या सेवाओं की कीमत दिनबदिन बढ़ती जा रही है, मतलब इन्फ्लेशन हो रहा है। इस कीमतों में वृद्धि के दर को इन्फ्लेशन रेट कहते है।

उदा. मान लीजिये सन 2010 में एक कप चाय की कीमत 5 रूपये थी, और अब 2022 में 12 रूपये हो गयी है। मतलब पिछले 12 वर्षों में एक कप चाय की 7 रूपये से बढ़ गई है। यहाँ इन्फ्लेशन हुआ है।

Effects of Inflation

जैसे-जैसे वस्तुएं और सेवाएं महंगी होती जाती हैं, करेंसी का मूल्य घटता जाता है। यह किसी देश में रहने की लागत को भी प्रभावित करता है। जब इन्फ्लेशन अधिक होती है, तो जीवन यापन की लागत भी अधिक हो जाती है, जो अंततः आर्थिक विकास में मंदी की ओर ले जाती है। अर्थव्यवस्था में एक निश्चित स्तर की इन्फ्लेशन की आवश्यकता होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खर्च को बढ़ा जाए और बचत के माध्यम से धन जमा करना बंद हो जाए। चूंकि पैसा आम तौर पर समय के साथ अपना मूल्य खो देता है, इसलिए पैसे को सही जगह इन्वेस्ट करना चाहिए, जिससे पैसे का मूल्य बढ़ जाये या स्थिर हो जाये। निवेश करने से किसी देश की आर्थिक वृद्धि होती है।[vc_single_image image=”28916″ img_size=”full” alignment=”center”]

What is Deflation

Deflation, तब होती है जब वस्तु और सेवाओं की कीमतें समय के साथ घटती हैं और ग्राहकों को की खरीदने शक्ति बढ़ जाती है। यह इन्फ्लेशन के उल्टा/विरुद्ध है। डिफ्लेशन के स्थिति में आप कल अधिक सेवाएं या वस्तुए खरीद पाएंगे जबकि आज उससे थोड़ा कम खरीद पाएंगे।

डिफ्लेशन एक अच्छी चीज की तरह लग सकती है। लेकिन ऐसा भी हो सकता है की यह बुरी घटना और कठिन आर्थिक समय का संकेत दे रही हो। जब लोगों को लगता है कि कीमतें नीचे जा रही हैं, तो वे इस उम्मीद में खरीदारी में देरी करते हैं कि वे बाद की तारीख में कम कीमत पर चीजें खरीद पाएंगे। लेकिन कम खर्च से उत्पादकों की इनकम कम हो जाती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है और ब्याज दर में वृद्धि हो सकती है। डिफ्लेशन और भी डिफ्लेशन को बढ़ा सकती है।

How is Inflation measured in India?

भारत में, इन्फ्लेशन को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों – WPI (Wholesale Price Index) और CPI (Consumer Price Index) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं। CPI, वस्तुओं और सेवाओं जैसे भोजन, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिसे भारतीय उपभोक्ता उपयोग के लिए खरीदते हैं।

दूसरी ओर, बड़े व्यवसायों द्वारा छोटे व्यवसायों को बेचने के लिए बेची जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं को आगे बेचने की प्रक्रिया को WPI द्वारा कैप्चर कर लिया जाता है। भारत में, WPI (थोक मूल्य सूचकांक) और CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) दोनों का उपयोग इन्फ्लेशन को मापने के लिए किया जाता है।

Written by

Nandeshwar Katenga

Nandeshwar Katenga is a dynamic figure in the digital world, combining a foundation in Computer Programming with a passion for Digital Marketing, Web/App development, Personal finance, and blogging. His diverse skill set creates a unique blend of expertise that sets him apart in the tech world.

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